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रविवार, 1 अप्रैल 2018

"मुस्लिम पिटाई दिवस" का संदेश ब्रिटेन के बाद अब फ्रांस, जर्मनी और आस्ट्रेलिया के साथ पूरे यूरोप में फैला। 3 अप्रैल को ले कर पुलिस के साथ सेना भी हाई अलर्ट पर" हिंदी की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली लेखिका शिवानी जी की एक कहानी से बात शुरू करना चाहूँगा। वो अपनी एक कहानी में किसी हिल स्टेशन की बस यात्रा का ज़िक्र करती हैं। बस में एक कॉन्वेंट की नन अपनी कुछ छात्राओं के जा रही थीं। उसी बस में कुछ ब्रिटिश सैनिक भी यात्रा कर रहे थे। लड़कियों को देख कर उनमें से कुछ ब्रिटिश सैनिक फब्तियाँ कसने, सीटियाँ बजने लगे। नन ने नाराज़ हो कर केवल एक वाक्य कहा 'It is very unbritish of you' और सारे ब्रिटिश लड़के बिल्कुल चुप लगा कर बैठ गए। यह जानने और अनुकरण करने योग्य बात है कि ब्रिटेन के समाज में अपने राष्ट्र के सम्मान को ले कर बहुत गौरव और असम्मान को ले कर प्रतिकार का भाव है। भारत में ब्रिटिश राज के समय अफ़ग़ानिस्तान के बॉर्डर पर सैनिक छावनी के बाहर से कुछ पठानों ने एक अंग्रेज़ महिला का अपहरण कर लिया। इस काण्ड की गूँज भारत के ब्रिटिश राज्य में ही नहीं अपितु ब्रिटिश पार्लियामेंट तक पहुँची। बहुत हंगामा हुआ। अंग्रेज़ी सरकार ने क़बाइली उड्डंदता से चल रहे समाज से दोषी माँगे। न देने पर सर्च अभियान चलाया। सैकड़ों को इस प्रक्रिया में मारा, अंततः दोषियों का वध किया और ब्रिटिश स्त्री को वापस लाये। वह स्त्री इस घटना के बाद इंग्लैण्ड वापस नहीं गयी और वहीँ रही। पठानों में पूरी ज़िम्मेदारी से मेसेज पहुँचाया कि यह ब्रिटिश सम्मान का विषय है और इसके दोषी पाताल से भी खींच कर निकाले जायेंगे। ब्रिटिश सम्मान को वापस बहाल किया गया और पठानों को सदैव के लिए सुधारा गया। उसके बाद कभी ऐसी कोई घटना दुबारा नहीं घटी। इन दो घटनाओं का उल्लेख केवल इस कारण किया है कि हम यह पूरी तरह जान-समझ लें कि ब्रिटिश समाज न्यायप्रिय और अपने बनाये, स्वीकार किये संविधान के अनुसार चलना पसंद करता है। ब्रिटिश विश्व भर में अपनी कॉलोनी स्थापित करते रहे हैं और उन्होंने अपने अधिकृत हर देश में क़ानून का शासन लागू किया था। तो अब क्या हो गया कि ब्रिटेन में वहाँ का न्यायप्रिय समाज 'Punish a Muslim Day' मनाने जा रहा है। आइये जानें कि 'Punish a Muslim Day' या 'मुसलमान पिटाई दिवस' है क्या ? किसी या किन्हीं अज्ञात संगठनों ने लगभग 20-25 दिन पहले से ब्रिटिश समाज में पैम्फ्लेट्स और पत्रों द्वारा 'मुसलमान पिटाई दिवस की सूचना फैलानी शुरू की। 3 अप्रैल को इसे मनाये जाने की घोषणा है। इन पत्रकों में इस दिवस को मनाने के लिए आयोजकों ने पौरुष के अनुसार पॉइंट्स की व्यवस्था की है। किसी मुस्लिम को गाली देने पर 10 पॉइंट, मुस्लिम महिला का बुरका खींचने पर 25 पॉइंट, चेहरे पर एसिड फेंकने पर 50 पॉइंट, बुरी तरह छिताई करने पर 100 पॉइंट, वध करने पर 500 पॉइंट्स दिए जायेंगे। पॉइंट्स का यह सिलसिला कृत्य की प्रखरता के क्रम में 2,500 पॉइंट्स तक जाता है। इस दिवस को मनाने के लिए पूरे लन्दन में पम्फलेट बांटे गए हैं और यह पम्फलेट डाक द्वारा लन्दन के मुस्लिम समुदाय को भी भेजे जा रहे हैं। इस आयोजन से लन्दन का मुस्लिम समुदाय भयभीत है और ब्रिटेन सरकार व पुलिस से अपनी जान बचाने की गुहार लगा रहा है। ब्रिटेन से शुरू हुआ ये सन्देश अब वायरल हो कर पूरे यूरोप में फैल चुका है। ब्रिटेन, जर्मनी और फ्राँस जैसे एक दूसरे के परम विरोधी राष्ट्र के लोगों ने भी 3 अप्रैल के "मुस्लिम पिटाई दिवस" को मनाने के लिये हाथ मिला लिये हैं और यह सब महान इस तेजस्वी गीत 'साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला कम पड़ता है मिल कर लट्ठ बजाना, साथी हाथ बढ़ाना' को अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रेंच में दुहराते हुए एक साथ आ गए हैं। ब्रिटेन की पुलिस को इस दिवस के आयोजकों का कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लग पाया है। ब्रिटेन में आज तीन मुस्लिम विरोधी चरमपंथी संगठन सक्रिय हैं। जिनके नाम ब्रिटेन फ़र्स्ट, इंग्लिश डिफेन्स लीग, न्यू नाज़ी हैं। ब्रिटिश अधिकारियों के अनुसार संभावना है कि इस हिंसक आयोजन में इन संगठनों की भूमिका हो। उनके अनुसार यह संगठन इस्लामिक चरमपंथी मानसिकता को उसी के अंदाज़ में जवाब देने की बात करते हैं। इस 'Punish a Muslim Day' की विचित्रता यह भी है कि 3 अप्रैल आने से पहले ही योरोपियन लोगों ने मुस्लिमों को पीटना शुरू कर दिया है। उन पर आक्रमण होने लगे हैं। उनकी सम्पत्तियों को भी हानि पहुंचाई जाने लगी है। इस दिवस के आयोजन का असर लन्दन के अलावा शेष ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी में भी देखा जा रहा है जहां मुस्लिमों पर हमलों में अचानक प्रखरता आई है। यह जानना उचित होगा कि न्यायप्रिय समाज ने यह रास्ता क्यों अख़्तियार किया ? हो सकता है कि इससे कोई बदलाव न आये मगर समाज में कौन सी अंतर्धारा बह रही है, इसका पता तो चलेगा ? इन तीन संभावित संगठनों के नाम ब्रिटेन फ़र्स्ट, इंग्लिश डिफेन्स लीग, न्यू नाज़ी ही इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं। आख़िर ब्रिटेन जैसी महाशक्ति के लोगों को क्या आवश्यकता आ पड़ी कि उन्हें लंदन में ही ब्रिटेन फ़र्स्ट, इंग्लिश डिफेन्स लीग जैसे संगठन बनाने पड़े ? जर्मनी से सदियों से लड़ते आये, दो-दो विश्व युद्ध लड़े ब्रिटेन के लोगों ने जर्मनी के नेता हिटलर के नाम का अपने देश में न्यू नाज़ी संगठन क्यों बनाया ? निकट अतीत में स्वतंत्र मानवाधिकारों की स्थापना करने वाले, स्त्री-पुरुष के बराबरी के अधिकारों की सभ्य व्यवस्था प्रजातंत्र देने वाले यूरोपियों देश में मुस्लिम आव्रजन को ले कर बेचैनी है ? क्यों इन समाजों में मुस्लिम आव्रजन को मुस्लिम घुसपैठ कहा जा रहा है ? क्यों मुस्लिम प्रवृत्तियों को असहिष्णु प्रवृत्तियां और मुस्लिम माँगों को तलब करने को आतंकवाद कहा जा रहा है ? क्यों न्यायप्रिय योरोपीय समाज युद्धों में मारे गए अपने राष्ट्र के लोगों की मृत्यु के लिए समूचे इस्लामी समाज को ज़िम्मेदार ठहरा रहा है ? क्यों मारे गए लोगों के लिए प्रत्येक मुसलमान को दोषी ठहरा कर उनके क़त्ल का बदला लो के नारे उछाले जा रहे हैं ? कहीं ऐसा तो नहीं कि क़ुरआन की यह बातें इंटरनैट के ज़माने में सारे जतन के बाद बाहर आ गयी हों। शांतिप्रिय समाज शांतिदूतों की असलियत समझने लगा हो और अपने बचाव के लिये चौकन्ना हो कर बदले की कार्यवाही पर उतर आया हो ? ओ मुसलमानों तुम ग़ैर मुसलमानों से लड़ो। तुममें उन्हें सख्ती मिलनी चाहिये { क़ुरआन 9-123 } और तुम उनको जहां पाओ क़त्ल करो { क़ुरआन 2-191 } काफ़िरों से तब तक लड़ते रहो जब तक दीन पूरे का पूरा अल्लाह के लिये न हो जाये { क़ुरआन 8-39 } ऐ नबी ! काफ़िरों के साथ जिहाद करो और उन पर सख्ती करो. उनका ठिकाना जहन्नुम है { क़ुरआन 9-73 और 66-9 } अल्लाह ने काफ़िरों के रहने के लिये नर्क की आग तय कर रखी है { क़ुरआन 9-68 } उनसे लड़ो जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं, न आख़िरत पर; जो उसे हराम नहीं समझते जिसे अल्लाह ने अपने नबी के द्वारा हराम ठहराया है. उनसे तब तक जंग करो जब तक कि वे ज़लील हो कर जज़िया न देने लगें { क़ुरआन 9-29 } मूर्ति पूजक लोग नापाक होते हैं { क़ुरआन 9-28 } जो कोई अल्लाह के साथ किसी को शरीक करेगा, उसके लिये अल्लाह ने जन्नत हराम कर दी है. उसका ठिकाना जहन्नुम है { क़ुरआन 5-72 } तुम मनुष्य जाति में सबसे अच्छे समुदाय हो, और तुम्हें सबको सही राह पर लाने और ग़लत को रोकने के काम पर नियुक्त किया गया है { क़ुरआन 3-110 } हिंदी के सर्वोत्तम व्यंग्य उपन्यास रागदरबारी में उसके लेखक स्वर्गीय श्रीलाल शुक्ल ने संस्कृत का एक सुभाषित 'भयानाम भयं भीषणं भीषणानाम' प्रयोग है। राष्ट्रबन्धुओ ! मुझे लगता है कि आपने रागदरबारी पढ़ी हो या न पढ़ी हो मगर उन्होंने रागदरबारी पढ़ ली है या संस्कृत का यह सुभाषित आप तक पहुंचे या न पहुंचे मगर उन तक पहुंच गया है। तुफ़ैल चतुर्वेदी

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