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मंगलवार, 20 जून 2017

तीन सूचनाएं बल्कि चार घोषणाएँ

तीन सूचनाएं बल्कि चार घोषणाएँ जानने योग्य हैं। पहली..... लंदन में दो जगह मस्जिदों से निकलते हुए नमाज़ियों पर अंग्रेज़ चालकों ने गाड़ी चढ़ा दीं। यह उसी तरह हुआ जिस तरह अभी कुछ दिन पूर्व टेम्स नदी पर in the name allah कह कर इस्लामी आतंकवादियों ने अंग्रेज़ों को मारा था। यह लोग चिल्ला रहे थे कि वह सभी मुसलमानों को मार डालेंगे। दूसरी घटना..... अमरीका के वर्जीनिया क्षेत्र में नाबरा हुसैन नाम की लड़की अपने साथियों के साथ रोज़ा खोलने के बाद टहल रही थी। उसके गिरोह पर एक कार सवार ने भद्दी बातें कहीं। यह लोग भाग कर स्थानीय मस्जिद में छुप गये। नाबरा हुसैन पीछे रह गयी। बाद में ढूंढने पर उसकी लाश रिजटॉप के तालाब में पायी गयी। फ़ेयरफ़ैक्स काउंटी की पुलिस ने इस अपराध में इस हत्या के लिये डार्विन को गिरफ़्तार कर लिया है। तीसरी घटना..... महामहिम राज्यपाल तथागत राय का बयान है जिसमें उन्होंने कहा है कि बिना गृहयुद्ध के भारत में इस्लामी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इन सूचनाओं को घोषणा कहने का कारण है। पहली दो घटनाओं के योद्धा अपना लक्ष्य घोषित ही कर रहे थे अतः यह सूचनाएं घोषणा का दर्जा रखती हैं। नाबरा हुसैन का वध किस लिये हुआ ? क्या यह 9-11 को इस्लामियों द्वारा ध्वस्त किये गए ट्विन टावर के ख़ाली स्थान जिसे ग्राउंड ज़ीरो कहा जाता है, पर मस्जिद स्थापित करने के भरसक प्रयासों का परिणाम है ? ज्ञातव्य है कि इसके बाद अमरीका में इस्लाम के ख़िलाफ़ के लहर चल निकली है। यह इस्लामी परम्परा के अनुसार ही है कि जहाँ-जहाँ इस्लाम ने काफ़िरों के मंदिर, चर्च, सिनेगॉग इत्यादि तोड़े हैं वहां इस्लाम की ताक़त दिखने के लिये मस्जिदें बनायीं जायें। दिल्ली में क़ुतुब मीनार के प्रांगण में स्थित क़ुव्वतुल इस्लाम मस्जिद प्रत्यक्ष प्रमाण है। इस मस्जिद में शिलालेख ही स्थापित है कि इस मस्जिद का निर्माण 27 हिन्दू व जैन मंदिरों को तोड़ कर उनके अवशेषों पर किया गया है। राम-जन्मभूमि, कृष्ण-जन्मभूमि, काशी-विश्वनाथ मंदिरों का विध्वंस स्वयं इस्लामी इतिहास से प्रमाणित है। त्रिपुरा के राज्यपाल महामहिम तथागत राय अपनी बेबाकी के लिये प्रसिद्द हैं। देशद्रोही याक़ूब मेनन के जनाज़े में सम्मिलित हज़ारों इस्लामियों के संदर्भ में उन्होंने कहा ही था कि पुलिस, प्रशासन को इन लोगों पर दृष्टि रखनी चाहिये। यह लोग संभावित आतंकवादी हैं। क़ुरआन में वर्णित आख़िर इस चिंतन को इस्लामी ही नहीं पढ़ते बल्कि अमुस्लिम भी पढते हैं। ओ मुसलमानों तुम ग़ैर मुसलमानों से लड़ो. तुममें उन्हें सख्ती मिलनी चाहिये { 9-123 } और तुम उनको जहां पाओ क़त्ल करो { २-191 } काफ़िरों से तब तक लड़ते रहो जब तक दीन पूरे का पूरा अल्लाह के लिये न हो जाये { 8-39 } ऐ नबी ! काफ़िरों के साथ जिहाद करो और उन पर सख्ती करो. उनका ठिकाना जहन्नुम है { 9-73 और 66-9 } अल्लाह ने काफ़िरों के रहने के लिये नर्क की आग तय कर रखी है { 9-68 } उनसे लड़ो जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं, न आख़िरत पर; जो उसे हराम नहीं समझते जिसे अल्लाह ने अपने नबी के द्वारा हराम ठहराया है. उनसे तब तक जंग करो जब तक कि वे ज़लील हो कर जज़िया न देने लगें { 9-29 } मूर्ति पूजक लोग नापाक होते हैं { 9-28 } जो कोई अल्लाह के साथ किसी को शरीक करेगा, उसके लिये अल्लाह ने जन्नत हराम कर दी है. उसका ठिकाना जहन्नुम है { 5-72 } तुम मनुष्य जाति में सबसे अच्छे समुदाय हो, और तुम्हें सबको सही राह पर लाने और ग़लत को रोकने के काम पर नियुक्त किया गया है { 3-110 } चौथी सूचना बल्कि घोषणा यानी इन तीनों पर अब मेरा आंकलन यह है कि " इस्लाम की सच्चाई को लोग समझने लगे हैं और उससे निबटने के प्रयास करने लगे हैं" अब जज़िया लौटाने, नबी की हराम-हलाल की छानफटक के दिन हैं। मनुष्य जाति का सबसे अच्छा समुदाय कौन सा है इसे मनुष्य समाज स्वयं तय करना चाहता है। ईमान और आख़िरत प्रारंभ में ही मानवता की कसौटी पर कसा जाना चाहिए था। देर आयद दुरुस्त आयद। तुफ़ैल चतुर्वेदी

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